वाइट होल in hindi

👉😝ep1 black hole click here

👉👉😉😉Click here to buy the book

ब्लैक हॉल एंड वाइट होल episode 2

1. वाइट  होल क़्या  है ै? 😉😉😉




दोस्तो पिछले एपिसोड में हमने ब्रह्माण्ड के महादानव ब्लैक होल्स के बारे में जाना जो अपनी ओर आनेवाले 
हर खगोलीय पिंड को निगल लेता है.

आज हम जानेंगे व्हाइट होल्स  के बारे में.

दोस्तो व्हाइट होल्स  को बेहतर तरीके से समझने के 
लिए आपको ब्लैक होल्स की समझ होनी चाहिए.

तो अगर आपने हमारे पिछले एपिसोड को अब तक नहीं देखा है तो पहले आप उसे देखेंअब बिना और वक्त 
गंवाए चलिए शुरू करते हैंआज का यह एपिसोड
व्हाइट होल्स आखिर क्या होते हैं ये वाइट हाउस चलिएजानते हैं.

जैसा कि आप जानते हैं ब्लैक होल्स ऐसे पिंड होते हैं
 जिसके अंदर आप जा तो सकते हैं पर कभी वापस नहीं लौट सकतेअगर वाईट होल्स की बात करें तो ये ब्लैक और उसके बिल्कुल विपरीत काम करते हैं यानि की ये ऐसे पिंड होते हैं जो चीजों को अपने अंदर से बाहर की ओर फेंकते हैं पर उन्हें वापस अंदर नहींवाइट होल्स के बारे में दिलचस्प बात यह हैकि अब तकये सिर्फ.

गणित के expression और हमारी कल्पनाओं में ही 
बसते हैं.

इसका अर्थ यह हुआ कि ब्रह्माण्ड में इनकी मौजूदगी के कोई ठोस प्रमाण हमें अब तक नहीं मिले हैं.

भौतिकी शास्त्रियों की मानें तो व्हाइट होल्स का 
वास्तव में होना लगभग असंभव है क्योंकि ये 
थर्मो डायनामिक्स के दूसरे लौ को तोड़ते हैंअब आप सोच रहे होंगे कि एक थर्मो डायनामिक्स का दूसरा lawक़्या है अगर सरल भाषा में कहूं तो यह कहता है कि एक आइसोलेटेड सिस्टम की एसडीओपी या तो बढ़ेगी या कंसल्टेंट रहेगी पर कभी घटेगी नहींअब अगला सवाल आपके मन में उठ रहा होगा कि ये एसडीओपी क्या है.
और हमें कैसे पता चलता है कि ये बढ़ रहा है या घट रहा है.
अगर सरल भाषा में कहूं तो एसडीओपी का मतलब 
होता है disorderdयानी कि व्यवस्था इसे मापने के लिए
 हम सिस्टम का initial और फाइनल स्टेट ध्यान में 
रखते हैं.
यानि की वह पहले कैसा था और बाद में उसमें क्या 
परिवर्तन आयाअगर सिस्टम में अब व्यवस्था आती है तो हम कहेंगे कि सिस्टम की एसडीओपी बढ़ गयी
चलिए इसे इस उदाहरण से समझते हैंमान लीजिए 
आपके पास कांच का एक स्लैब है आपके लिए उसे इधर उधर रखना आसान है क्यूंकि यह आर्डर में है.
अब मान लीजिए कि वह जमीन पर गिरकर टूट जाता हैइस केस में आपके पास उसी कांच के कई टुकड़े हैं जिन्हें इधर उधर रखना थोड़ा मुश्किल हैपहले के मुकाबलेतो अब तक क्या हुआएक संपूर्ण कांच कई टुकड़ों में 
विभक्त हो गयायानि की अब आपके पास पहले से 
ज्यादा टुकड़े हैंइसे entropica कहते हैंअब देखते हैंकि थर्मो डायनामिक्स का दूसरा law यहां कैसे लागू हो रहा है.
जब आप कांच को नीचे गिराते हैं तो वह हमेशा टूटेगा ही.
यानी की उसकी entropy हमेशा बढ़ेगी हीऐसा कभी नहीं होगा कि टूटे हुए कांच के टुकड़े वापस कांच का वह स्लैब खुद  खुद बना लें यानि की entropy कभी घटेगी नहीं.
अगर ब्रह्माण्ड के संदर्भ में देखें तो सभी वस्तुएं अपने अंत की तरफ बढ़ेगीनिर्माण की तरफ कभी नहींब्लैक होल्स का अस्तित्व है क्योंकि वह इस law को फॉलो 
करते हैं.
पर वाइट होल्स की अगर बात करें तो वह खगोलीय 
पिंडों को अपने बाहर की ओर फेंकते हैं यानि की नए 
खगोलीय पिंडों को जन्म देते हैं जिससे कि इन  
entropy घटती है जो कि थर्मो डायनामिक्स के दूसरे 
law तोड़ती हैअतः भौतिकी शास्त्री मानते हैं कि उनका अस्तित्व में होना असंभव हैअगर इनका अस्तित्व हुआ भी तो केवल कुछ सेकेंड्स का होगा क्योंकि ये 
स्टेबल होंगेअब जब आप ये सब समझ चुके हैं
आप सोच रहे होंगे कि जब व्हाइट होल्स का होना संभव नहीं है तो भौतिकी शास्त्री इसके बारे में सोच क्यों कर रहे हैं?.
दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि व्हाइट होल्स इसके के साधारण सापेक्षता वाद के इक्वेशन के सॉल्यूशन है .
साधारण सापेक्षता वाद और न्यूटन फिजिक्स के 
अनुसार अगर समय आगे जा सकता है तो वह पीछे भी जा सकता हैऐसे में हम व्हाइट होल्स को ब्लैक होल्स का समय में पीछे जाने वाले रोक के तौर पर देख सकते हैंस्टीफन हॉकिंस के अनुसार वे व्हाइट होल्स  का 
अस्तित्व हो सकता हैआइये अब जानते हैं कि व्हाइट होल्स अगर हुए तो उनका निर्माण कैसे होगा.

हम जानते हैं कि जब किसी विशाल तारे का हाइड्रोजन पूरी तरह खत्म हो जाता है तो वह अपनी गुरुत्वाकर्षण  के प्रभाव में अंदर की ओर धंसता चला जाता है और धूल से भी छोटे कण में परिवर्तित हो जाता है जिसकी गुरुत्वाकर्षण मूल तारे से कई लाख गुना बढ़ जाती हैइसे ग्रेविटेशनल singularity कहते हैं.
जो भी खगोलीय पिण्ड इसके पास आते हैं यह उन्हें 
निगल लेता है.
हमेशा के लिए हम नहीं जानते कि उन खगोलीय पिंडों का असल में होता क्या है.
आइंस्टीन और न्यूटन की थ्योरी के अनुसार मैटर का कभी निर्माण नहीं किया जा सकता और ना ही उनका नाश किया जा सकता है.
वह केवल अपना रूप बदलते हैंअगर ब्लैक होल्स को 
एक बंद कमरा माने जिसमें खगोलीय पिंड हमेशा के 
लिए बंद रहते हैं.
तो सब कुछ ठीक रहेगा क्योंकि मैटर वहां सुरक्षित 
रहेगा.
पर स्टीफन हॉकिंस ने हॉकिन्स रेडिएशन की थ्योरी दी जिसके अनुसार ब्लैक होल्स हमेशा अस्तित्व में नहीं 
रहतेउनका कहना था कि थर्मो डायनामिक्स के दूसरे लॉ के अनुसार black holes रेडिएशन छोड़ते रहते हैंजिससे उनकी एनर्जी खत्म होती जाती है और एक समय ऐसा आता है जब 
उनका अस्तित्व ही खत्म हो जाता हैऔर वो भाप 
बनकर.उड़ जाते हैंपर यहां दिक्कत ये है कि अगर वो भाप बनकर उड़ जाते हैं तो उन खगोलीय पिंडों का क्या होता है जिन्हें ब्लैक होल ने निगला था वो पूरी तरह 
नष्ट नहीं हो सकते.
क्योंकि मैटर को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकताऐसे में भौतिकी शास्त्री मानते हैं कि ब्लैक होल्स अपने अंत समय में वाइट होल्स में बदल जाते हैं तथा उन 
सभी खगोलीय पिंडों को वापस बाहर निकाल देते हैं.
जिन्हें ब्लैक होल्स ने निगला थाअगर ये थ्योरी सही है
तो इससे हमें एक और जटिल सवाल का उत्तर मिल 
जाता हैवो सवाल यह है कि बिग बैंग का धमाका कैसे हुआ था और एक धूल के कण से भी छोटे बिंदु से इस 
संपूर्ण ब्रह्माण्ड का निर्माण कैसे हो गया हो सकता हैबिग बैंग एक वाइट होल हो.
अगर ऐसा हुआ तो एक और दिलचस्प बात होगी और वो यह होगा कि मूल ब्रह्माण्ड हमारे आज के ब्रह्माण्ड से काफी बड़ा रहा होगा और यह भी संभव है कि हम एक ब्लैक होल में रह रहे होंअगर स्टीफन हॉकिंस की मानें तो ब्लैक होल्स और व्हाइट होल्स आपस में जुड़े होते हैं तथा दोनों मिलकर एक पोर्टल का निर्माण करते हैं 
जिससे हम दूसरे समानान्तर ब्रह्मांड में जा सकते हैं 
कयूंकि  ग्रेविटेशनल singularity मेँ टाइम डीप स्पेस में परिवर्तित हो जाता हैये भी 
मुमकिन है कि हम समय में आगे या पीछे भी जा पाएं.
आइंस्टीन और नेथन रोजन ने वार्म होल्स की कल्पना की थी जिसे आइंस्टीन रोजन ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है पर इसके बारे में हम आगे आने वाले एपिसोड्स में चर्चा करेंगे.

साल 2006 से पहले तक वाइट होल्स केवल हमारी 
कल्पना में बसते थेपर 14 जून 2006 को नासा के 
सेफ सैटेलाइट ने गामा रे के एक धमाके को रिकॉर्ड किया जिसे
 वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे हैंइसे GRB060614. 
नाम दिया गया थायह 
धमाका हमारी जानकारी के किसी भी नॉर्मल  फिनोमिना से मेल नहीं खाता.
जहां साधारण गामा रे का धमाका केवल कुछ सेकेंड्स का होता हैइस धमाके का समय 102  सेकेंड था तथा यह हमारे सूर्य से एक खरब गुना अधिक शक्तिशाली थाइसमें कोई शक नहीं कि ये एक सुपरनोवा का धमाका थापर भौतिकी शास्त्री ये जानकर हैरान थेकि इसका निर्माण एक अत्यंत छोटे बिंदु से हुआ थायह 102  
सेकेंड के बाद पूर्णतः खत्म हो गयाये सभी प्रोपर्टीज 
वाइट होल्स के प्रोपर्टीज से पूरी तरह मेल खाते.
हैं तो क्या हमने एक वाइट होल को अस्तित्व में देख 
लियाअगर हां तो क्या ऐसे कई और पिंड भी हैं जिनके बारे में हम अभी तक नहीं जानतेशायद हाँ आज के इस 
एपिसोड में बस इतना हीकमेंट के जरिये हमें जरूर 
बताएंयह एपिसोड आपको कैसा लगा अगर आपके 
मन में इससे जुड़े कोई सवाल है तो आप बेझिझक पूछ सकते हैंमैं आपके हर प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करूंगा.
तो दोस्तो मिलते हैं एक और दिलचस्प एपिसोड मेंतब तक के लिए नमस्कार.

👉👉😉😉click here to buy book


Comments