टॉप 10 अपकमिंग NASA स्पेस मिशन

टॉप 10 अपकमिंग NASA स्पेस  मिशन 

टॉप 10 अपकमिंग NASA स्पेस  मिशन 


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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा आज एक जाना पहचाना नाम है. इसकी स्थापना 1 अक्तूबर 1958 की गई थी. तथा या 20वीं शताब्दी में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चल रहे स्पेस रेस का नतीजा था. यह एक ऐसा समय था जब अमेरिका और सोवियत संघ बेहतर तकनीक और अंतरिक्ष अन्वेषण में खुद को एक दूसरे से बेहतर साबित करने में लगे हुए थे. अंततः नासा के अपोलो मिशन के जरिए अमेरिका ने खुद को सोवियत संघ से श्रेष्ठ साबित करते हुए. 1969 में पहला मानव चांद पर उतारा. उसके बाद से अब तक नासा दो सौ से ज्यादा स्पेस मिशन को अंजाम दे चुका है.
आज के इस एपिसोड में हम बात करेंगे निकट भविष्य में नासा द्वारा छोड़े जाने वाले 10 बड़े और महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन के बारे में. तो चलिए शुरू करते हैं आज का यह एपिसोड.

       नंबर 10 पर है पार्कर सोलर प्रोब    .   

 ताकि हम भविष्य में इससे होने वाले कई तरह के संभावित खतरों को पहले ही भाप कर.
खुद को उनसे बचा सकें. सूर्य के बारे में एक दिलचस्प बात ये भी है कि इसके सर्फेस से ज्यादा गर्म इसका कोरोना. सामान्य तौर पर जब हम सर्फेस से अध्यक्ष की ओर बढ़ते हैं तो तापमान घटता है.
पर सूर्य के साथ ऐसा नहीं. वैज्ञानिक इसका कारण नहीं समझ पाए और शायद यह यान इस गुत्थी को सुलझाने में मददगार साबित होगा. सोलर हवाएं सूर्य से संबंधित एक ऐसा खतरा है जो बिना किसी वॉर्निंग के पृथ्वी के इलेक्ट्रिक ग्रिड को ठप कर सकता है जिससे एकदम से पूरे विश्व में अंधेरा छा जाएगा और इलेक्ट्रिसिटी से चलने वाले हमारे सारे यंत्र बेकार हो जाएंगे.
सूर्य के सर्फेस इसके मैग्नेटिक फील्ड प्लाज्मा और एनर्जेटिक पार्टिकल्स का बारीकी से अध्ययन कर हम भविष्य में सोलर हवाओं से होने वाले संभावित खतरों को न सिर्फ भांप सकेंगे बल्कि उनसे निपटने के लिए तैयार भी रहेंगे. यह यान बुध ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर 6 लाख 92 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हुए सूर्य के नजदीक वर्ष 2025 में पहुंचेगा.
नि:संदेह यह मानव द्वारा निर्मित सबसे तीव्र गति से चलने वाला यान होगा.

         नंबर 9 पर है  यूरोपा क्लिपर       

इसका पता लगाने के लिए यूरोपा क्लिपर यान वहां तरल पानी सही कैमिकल कंपोजिशन और एक एनर्जी सोर्स की तलाश करेगा जो कि जीवन के पनपने के लिए आवश्यक है.
इस जानकारी को हासिल करने के लिए क्लिपर यूरोपा का कम से कम 40 से 45 बार चक्कर लगाएगा तथा हर छोटी से छोटी जानकारी एकत्रित करेगा. जब इसका मिशन पूरा हो जाएगा वह वापस पृथ्वी पर लौट आएगा.

           नंबर 8 पर है जूस          

 पर जानकारियां इकट्ठा करने के लिहाज से ये उससे कहीं ज्यादा बड़ा है.
इसे 2022 में छोड़ा जाएगा तथा अपने गंतव्य स्थान तक पहुँचने में इसे 7.5 साल लगेंगे.

      नंबर 7 पर है एस्टेरॉयड रेडिरेक्ट मिशन   .

इस मिशन को वर्ष 2020 में छोड़ा जाना है. इसके तहत एक यान पृथ्वी को सबसे नजदीक मौजूद विशाल एस्ट्रॉयड की ओर छोड़ा जाएगा. जब यह यान वहां पहुंचेगा. उसके रोबोटिक हाथ उस एस्ट्रॉयड के कुछ टुकड़े वहां से उठाकर हमारे चंद्रमा के ऑर्बिट  में छोड़ देंगे. वहां से ओरियन यान में  मौजूद वैज्ञानिक बारीकी से उसका अध्ययन कर पाएंगे. इस मिशन में हमें एस्टेरॉयड के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होंगी. जिससे कि हम भविष्य में होने वाले खतरों से निपटने के लिए खुद को बेहतर तरीके से तैयार कर सकें. इस मिशन में इस्तेमाल होने वाली तकनीक वही होगी जो मानवों को मंगल ग्रह पर ले जाने में इस्तेमाल की जाएगी.
इसका मतलब यह है कि इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक न सिर्फ आश्चर्य का अध्यन कर पाएंगे बल्कि वो उस तकनीक का भी लाइव टेस्ट कर रहे होंगे.

        नंबर 6     पर है ओरियन स्पेसक्राफ्ट               

इसका उद्देश्य होगा मानवों को अंतरिक्ष में वहां तक ले जाना जहां तक कोई मानव अभी तक नहीं जा सका है. उम्मीद की जा रही है कि यह यान मानवों को मंगल ग्रह पर ले जाने में पूरी तरह से सक्षम होगा. इसके लिए इसे इस तरह से बनाया गया है कि ये अधिकतम तापमान तीव्र गति रेडिएशन फील्ड  और अन्य मुश्किल वातावरण में भी बिना किसी परेशानी के काम कर सकें. दुनिया का कोई भी साधारण यान इसकी क्षमता के सामने बौना है. ओरियन को एसएलएस नाम के विशाल रॉकेट की सहायता से छोड़ा जाएगा.
 ये राकेट ओरियन को चांद के आगे तक ले जाएगा. इस रॉकेट पर अभी भी काम चल रहा है जबकि यान पूरी तरह से तैयार हो चुका है तथा इसका अब तक कई बार सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया जा चुका है. ओरियन का पहला काम होगा 2020 में हमारे सबसे नजदीक मौजूद एस्ट्रॉयड का अध्ययन करने में वैज्ञानिकों की मदद करना.
जबकि इसका दूसरा और सबसे अहम काम होगा 2030 में  मानवों को मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा.

 नंबर 5       पर है मार्स ट्वेंटी ट्वेंटी  रोवर        . 

 नासा रोबोट को अक्सर एक जैविक आकार प्रदान करने की कोशिश करता है. अतः इस रोवर को भी एक शरीर, एक दिमाग,  हाथ ,टांग आंखें और कान दिया गया है. दूसरे शब्दों में कहूं तो इसे इस प्रकार से बनाया गया है तो यह कई कार्य एक साथ कर पाएं या बैटरी से चलेगा तथा इंसुलेटेड होगा. मंगल पर तापमान काफी कम हो जाता है. इससे बचने के लिए इसके अंदर एक हीटर लगाया गया है. इसका दिमाग असल में एक कंप्यूटर है जो इसके  द्वारा कलेक्ट की गई जानकारियों को प्रोसेस करेगा. इसके हाथ  मंगल की सतह पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों का सैंपल लेने में सक्षम होंगे जिसे बाद में पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा. कैमरा एंटीना और अन्य तकनीकों की मदद से यह आसपास के वातावरण को भांप कर उनसे खुद को सुरक्षित रख पाने में सक्षम होगा.
 एंटीना के जरिए यह पृथ्वी से जुड़ा रहेगा .

       नंबर चार पर है यूक्लिड  टेलिस्कोप      

इस मिशन को 2020 में छोड़ा जाएगा तथा इसका उद्देश्य होगा डार्क एनर्जी और डार्क मैटर के बारे में जानकारियां इकट्ठा करना. डार्क एनर्जी एक रहस्यमय ऊर्जा  है जो ब्रम्हांड के चलते रहने का कारण है. ब्रह्माण्ड का लगभग 68 प्रतिशत भाग डार्क एनर्जी से बना हुआ है.
पर वैज्ञानिक इसके बारे में न के बराबर ही जानते हैं. अगर डार्क मैटर की बात करें तो ब्रह्माण्ड का 27 प्रतिशत भाग इससे बना है और वह मैटर नहीं है जिसे हम जानते हैं. हम मैटर को इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के रूप में जानते हैं पर डार्क मैटर इन सबसे नहीं बनता. डार्क एनर्जी और डार्क मैटर के बारे में विस्तार से हमने आपको एक अलग आर्टिकल  में बताया था. अगर आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो उस आर्टिकल का लिंक आपको नीचे  मिल जाएगा. यूक्लिड टेलिस्कोप.
2020 में छोड़े जाने के बाद 2 अरब गैलेक्सी एस के बारे में जानकारियां इकट्ठा करेगा जिससे यह पता चल सके कि ब्रम्हांड किस चीज से बना है और कैसे?

    नंबर   3 पर है डब्ल्यू फर्स्ट

वाइट फील्ड इंफ्रारेड सर्वे टेनिस को एक तीर से दो शिकार करेगा. यह सौरमंडल के बाहर मौजूद नए ग्रहों की खोज करने के साथ साथ डार्क एनर्जी के बारे में भी जानकारियां इकट्ठा करेगा.
नए ग्रहों को ढूंढने के लिए ये  डायरेक्ट इमेजिंग  टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगा. इस तकनीक ने हम ग्रहों की तस्वीर खींचते हैं और बाद में उन पर नजर रखते हैं. हालांकि यह तकनीक कई बार काम नहीं करती क्योंकि तारों के अत्यधिक प्रकाश के कारण कई बार ग्रह हमें दिखाई नहीं देते. डार्क एनर्जी के बारे में ये पता लगाने की कोशिश करेगा कि ये आखिर है क्या. यह ब्रह्माण्ड  के फैलाव  को समझने में हमारी मदद करेगा जो कि कहीं न कहीं डार्क एनर्जी से संबंधित है.
इस टेलिस्कोप को भी 2020 में ही छोड़ा जाएगा तथा ये 2026 तक काम करेगा.

नंबर 2 पर हैं MAIA.

 साथ ही साथ हम वायु प्रदूषण के स्तर में हो रही बढ़ोतरी पर भी नज़र रख सकेंगे.

          नंबर एक 1 पर है PSYCHE      

अगर वो सही हुए तो हमें ये जानने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी के कोर में क्या है. साथ ही साथ हमें ये भी जानने में मदद मिलेगी कि सौरमंडल का निर्माण आखिर हुआ कैसे था ?. दोस्तों आज के इस एपिसोड में बस इतना ही. आशा करता हूं कि आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा.
अगर ऐसा है तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें.
 तो दोस्तो मिलता है एक और दिलचस्प आर्टिकल  में. तब तक के लिए  नमस्कार.



मई 2018 में नासा ने इस मिशन की घोषणा की. इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक वो करने जा रहे थे जो आज तक किसी ने नहीं किया. दरअसल वो पहली बार एक ऐसा यान छोड़ने जा रहे हैं जो सूर्य के नजदीक जाकर उसका अध्ययन करेगा इस यान को वर्ष 2018 में छोड़ा जाएगा तथा यह सूर्य से महज 6.4 अरब किलोमीटर की दूरी पर होगा जो कि एस्ट्रोनॉमिकल स्केल पर काफी कम दूरी है. इस मिशन का मूल उद्देश्य सूर्य के स्ट्रक्चर और उसके हीटिंग मैकेनिज्म का अध्ययन करना है.








यूरोपा क्लिपर मिशन का मूल उद्देश्य होगा उस अहम सवाल का जवाब ढूंढना जो हम सदियों से करते आ रहे हैं कि ब्रम्हांड में पृथ्वी के अलावा भी कहीं जीवन मौजूद है. यह यान 2020 में छोड़ा जाएगा तथा इसका उद्देश्य होगा बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा पर जीवन की तलाश करना. हाल ही में वैज्ञानिकों को ये पता चला है कि यूरोपा के कृषि के नीचे समुद्र मौजूद हैं. वो ये जानने को उत्सुक हैं कि क्या यह समुद्र जीवन की उत्पत्ति के अनुकूल है या नहीं.





जूस का फुल फॉर्म है जूसी आइसी मून एक्सप्लोरर. इस मिशन को यूरोपियन स्पेस एजेंसी हेड करेगा जिसमें नासा उसकी मदद करेगा. यह मिशन वर्ष 2022 में छोड़ा जाएगा. इसका उद्देश्य होगा यूरोपा, गेनीमेड  और कलिस्टो में इसके बारे में जानकारियां इकट्ठा करना जो कि बृहस्पति के उपग्रह हैं. वैज्ञानिक इन तीन उपग्रहों के कंपोजिशन वातावरण और इनके निर्माण के बारे में जानना चाहते हैं साथ ही साथ वो ये भी जानने को उत्सुक हैं कि इन उपग्रहों पर जीवन किसी रूप में मौजूद है या नहीं. ये मिशन काफी हद तक यूरोपा क्लिपर   मिशन के  जैसा ही है.




 जैसा कि नाम से जाहिर है इसका उद्देश्य होगा एस्टेरॉयड के बारे में जानकारियां इकट्ठा करना ताकि भविष्य में हमारे साथ वो न हो जो कभी डायनासौर के साथ हुआ था.


ओरियन अंतरिक्षयान नासा का निकटतम भविष्य के सबसे बड़े मिशन में से एक है.




रोवर को बरकरार रखते हुए नासा 2020 में मार्स रोवर मिशन लांच करेगा इसका मूल उद्देश्य होगा मंगल ग्रह के बारे में हर छोटी से छोटी जानकारी इकट्ठा करना ताकि मानव मिशन से पहले हम खुद को मंगल पर मिलने वाले हर संभावित परिस्थिति का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर सकें. यह आकार में एक कार जितना बड़ा होगा तथा मंगल की सतह पर चलते हुए डेटा कलेक्ट करेगा.



 वास्तव में यूक्लिड यूरोपियन स्पेस एजेंसी का एक मिशन था जिसे 2013 में नासा ने ज्वॉइन किया.





नासा का. मल्टी एंगल इमेजर फॉर एरोस्पेस मिशन पृथ्वी के लिए होगा. इसके दो मुख्य उद्देश्य होंगे. पहला पृथ्वी पर साइक्लोन यानी  चक्रवातों को ट्रैक करना तथा दूसरा वायु प्रदूषण के बारे में जानकारियां इकट्ठा करना. पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान यह उपग्रह अलग अलग स्थानों पर मौजूद प्रदूषित हवा का अध्ययन करेगा. इससे मिली जानकारियों से वैज्ञानिकों को वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से निपटने में मदद मिलेगी.

वर्ष 2022 में PSYCHE नाम का  यान PSYCHE नाम के ही एक एस्ट्रॉयड की ओर रवाना होगा जो मंगल और बृहस्पति के आर्बिट के बीच में मौजूद है. साधारण एस्ट्रॉयड से बिल्कुल अलग यह एस्ट्रॉयड ज्यादातर निकल और आयरन से बना है इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि ये एस्ट्रॉयड सौरमंडल का  ही किसी ग्रह का भाग  है जो सौरमंडल को शुरुआती दिनों में इससे अलग हुआ होगा.



धन्यावाद 

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