ISRO के भविष्य के सबसे महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन ¦¦Top Future Missions of ISRO in Hindi

ISRO के भविष्य के सबसे महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन Top Future Missions of ISRO in Hindi


दोस्तो मैंने आपको  पिछले article में भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO के कुछ ऐतिहासिक मिशनों के बारे में बताया था पर वर्तमान समय में इस रूट कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण एवं महत्वकांक्षी मिशनों पर काम कर रहा है जैसे कि चंद्रयान टू मिशन शुक्र  यान मिशन, मंगलयान मिशन और गगन यान मिशन इन मिशनों के पूरा हो जाने के बाद भारत न सिर्फ स्पेस एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में तेज गति से विकास करेगा. साथ ही वह अपने आप को एक स्पेस सुपर पावर के रूप में स्थापित कर लेगा तो नमस्कार दोस्तो आज के एपिसोड में हम जानेंगे इसरो के फ्यूचर स्पेस मिशनों के बारे में.


  1. चंद्रयान 2.




इसरो चंद्रयान वन मिशन की सफलता के बाद चंद्रयान 2 मिशन के जरिये दूसरी बार चांद पर पहुंचने की योजना बना रहा है.



करीब तीन हजार आठ सौ नब्बे किलोग्राम वजनी इस स्पेस प्रोब में एक लूनर और एक लैंडर एवं एक रोवर मौजूद होगा. इसे पूरी तरह भारतीय वैज्ञानिकों के द्वारा 800 करोड़ रुपए की लागत से डेवलप किया जा रहा है. सबसे पहले ऑर्बिटर  मेन स्पेसक्राफ्ट से अलग होगा जो कि मून के सर्फेस से 100  किलोमीटर ऊपर रहकर अपना काम करेगा. इसके बाद मेन लैंडर चांद के सरफेस पर एक सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यह लैंडर चांद के लूनर साउथ पोल के नजदीक लैंड होगा. अगर यह मून के सर्फेस पर सफलतापूर्वक लैंड होता है तो यह इस एरिया में लैंड होने वाला पहला रेंडर बन जाएगा जिसके बाद आखिर में जाकर मून रोवर लैंडर से अलग होगा.



 यह एक 27 किलोग्राम वजनी सोलर पावर्ड रोवर होगा जिसमें छह वील्स मौजूद होंगे. शुरू में रशिया इस मिशन में सहयोग करने वाला था पर किन्हीं कारणों से रशिया ने मदद करने से मना कर दिया जिसके बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने खुद ही इसे डेवलप करने का निर्णय लिया. शुरू में इसे 2018 के अंत तक लॉन्च किया जाना था पर अब इसे जनवरी 2019 से अप्रैल 2019 के मुदित लॉन्च किया जाएगा. 


2 . मंगलयान दो.


दोस्तो मंगलयान टू मंगलयान वन की सफलता के बाद इसरो का दूसरा इंटर प्लेनेटरी मिशन होगा. दोस्तो मंगलयान वन के जरिए भारत मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बना या आर्बिटर. 24 सितंबर 2014 में मंगल ग्रह के आर्बिट में दाखिल हुआ था और आज करीब चार वर्षों के बाद भी यह पूरी तरह सही तरीके से काम कर रहा है. इस मिशन का ऐलान 28 अक्टूबर 2014 को बैंगलोर में आयोजित इंजीनियर्स कॉन्क्लेव कॉन्फ्रेंस में किया गया था. मंगलयान 2 स्पेसक्राफ्ट में एक ऑर्बिटर  एक लैंडर एवं एक रोवर मौजूद होगा जो कि मंगल ग्रह के सरफेस जियोलॉजी टेम्प्रेचर मिनरल कंपोजिशन एवं अपर एटमॉस्फियर प्रोसेसर्स के बारे में और भी अच्छे तरीके से जानने की कोशिश करेगा.

 अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस मिशन को 2022, 2023 तक लॉन्च किया जा सकता है. पर यह मिशन काफी हद तक चंद्रयान टू मिशन की सफलता के ऊपर डिपेंड है. क्योंकि चंद्रयान 2 मिशन में भी एक ऑर्बिटर एक लैंडर एवं एक रोवर मौजूद होगा और इसी टेक्नोलॉजी को कुछ बदलावों के साथ मंगलयान टू में उपयोग किया जाएगा.

3. गगन यान.

 दोस्तो गगन यान भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा. जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को एक विशेष स्पेस मॉड्यूल के जरिये अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. ये सभी अंतरिक्षयात्री धरती से 300 से 400 किलोमीटर दूर लो अर्थ आर्बिट में पांच से सात दिन बिताएंगे. जहां वे माइक्रो ग्रेविटी एवं अन्य प्रयोग करेंगे. इस महत्वाकांक्षी मिशन का ऐलान भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा 15 अगस्त 2018 में लाल किले से किया गया था और अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसे 2022 अंत तक इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3 के जरिये लॉन्च किया जाएगा.

 दुनिया में केवल तीन ही देश ऐसे हैं जो कि यह कारनामा कर पाए हैं कि हम भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. गगन यान को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसरो दो मानवरहित मिशनों को अंजाम देगा. इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को चुनने का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा एवं इन्हें अमेरिका या रशिया में ट्रेनिंग दी जाएगी. भारत के इस ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन में करीब 10 हजार करोड़ रुपयों का खर्च आने का अनुमान है. 

4. शुक्रयान . 1

 चंद्रयान एवं मंगलयान की सफलता के बाद भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो वीनस ग्रह पर अपना ऑर्बिटर भेजने की योजना बना रहा है.

 इस ऑर्बिटर को शुक्रयान का नाम दिया गया है जिसका उद्देश्य वीनस ग्रह के सर्फेस एवं एटमॉस्फियर का अध्ययन कर इस ग्रह के बारे में और अधिक जानकारियां जुटाना है.

वर्तमान समय में भारतीय स्पेस एजेंसी ने इस मिशन के लिए दूसरे देशों की स्पेस एजेंसी के साथ कैलिब्रेशन की इच्छा जताई है जिसमें से फ्रांस की स्पेस एजेंसी ने इस मिशन में रुचि दिखाई है.

इस मिशन का पहला कॉन्सेप्ट 2012 में तृप्ति स्पेस मीट में पेश किया गया था. अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस ऑर्बिटर को 2030 अंत तक लॉन्च कर दिया जाएगा. इस ऑर्बिटर में करीब सौ किलोग्राम के साइंस इंस्ट्रूमेंट्स मौजूद होंगे एवं साथ ही इसमें 500 वाट का पावर सोर्स मौजूद होगा. यह एक अलग ऑप्टिकल ऑर्बिट में वीनस ग्रह का चक्कर लगाएगा जिसमें यह वीनस ग्रह के 500 किलोमीटर तक सबसे पास जाएगा. इसे भारत की सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी मार्क थ्री के जरिये लॉन्च करने की योजना है.

 5. आदित्य एल-1


आदित्य एल-1 भारत का पहला सोलर मिशन है.

 इसे भारतीय स्पेस एजेंसी एवं अन्य भारतीय रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के मध्य एक सहयोग  के जरिये तैयार किया जा रहा है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य हमारे सूर्य के फोटोस्फेरे , क्रोमोस्फेरे  एवं कोरोना का अध्ययन करना है तो मैं आपको बता दूं कि कोरोना हमारे सूर्य का आउटर लेयर है जिसका तापमान अपने सेंटर से कई गुना ज्यादा है. शुरू में इसे धरती के लो अर्थ ऑर्बिट  में स्थापित किए जाने की योजना थी पर अब इसे धरती से 1.5  मिलियन किलोमीटर दूर मौजूद लांग रेंज पॉइन्ट वन में स्थापित किया जाएगा. यहां यह बिना किसी रुकावट के बेहद ही कम समय  में सूर्य का अध्ययन कर सकता है.

 और इसी कारण इसके नाम को आदित्य वन से बदलकर आदित्य एल वन कर दिया गया. मुख्य सैटेलाइट्स के साथ साथ अन्य पेलोड मौजूद होंगे एवं इसे 2021 अंत तक लॉन्च किए जाने की योजना है. लॉन्च किए जाने के पांच वर्षों तक यह काम करता रहेगा. साथ ही यह सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करने वाला पहला सैटेलाइट बन जाएगा.

 6. नासा इसरो सार मिशन.

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एवं भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के साथ मिलकर एक बेहद ही एडवांस डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रेडार सेटेलाईट डेवलप कर रहे हैं जिसे नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रेडार यानि की निसार नाम दिया गया है. निसार डुअल फ्रिक्वेंसी पर काम करने वाला दुनिया का पहला रेडार इमेजिंग सैटलाइट होगा जिसका मकसद ग्लोबल इनवायरमेंटल चेंज और नेचुरल डिजास्टर को क्लोसेली  मोनिटर करना होगा जिसके लिए यह हर 7 से 12 दिनों में पृथ्वी के सरफेस का मैपिंग करेगा. इस रेडार सेटेलाइट को डेवलप करने का काम अभी अपने प्राइमरी फेज में है. एवं उम्मीद जताई जा रही है कि इसे 2021 अंत तक लॉन्च कर दिया जाएगा.

 इस महत्वाकांक्षी मिशन की कुल लागत 1.5  बिलियन डॉलर आंकी गई है जो कि इसे दुनिया का सबसे एक्सपेंसिव अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट बनाता है. कुल लागत में से 110 मिलियन डॉलर भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो एवं 808 मिलियन डॉलर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा द्वारा दिया जाएगा. इसे पृथ्वी के लो अर्थ ऑर्बिट में इंस्टॉल किया जाएगा एवं इसके लॉन्च के तीन सालों तक काम करने का अनुमान है.

धन्यवाद दोस्तो. आज केआर्टिकल  में बस इतना ही आपको इन सभी प्रस्तावित मिशनों में से कौन सा मिशन सबसे अच्छा लगा एवं क्यों लगा. मुझे नीचे कमेंट कर जरूर बताएं| 

              धन्यवाद.


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