ब्लैक होल और व्हाइट होल के बारे में रोचक तथ्य
ब्लैक होल और व्हाइट होल के बारे में रोचक तथ्य
ब्लैक होल हमारे पूरे ब्रह्माण्ड में सबसे रहस्यमय
वस्तुओं में से एक है. स्पेस में ये ऐसे प्लेसेस होते हैं
जहां ग्रेविटी का प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि हमारे करंट फिजिकल थ्योरी वहां ब्रेक कर जाते हैं. यहां तक कि खुद लाइट भी इनसे होकर वापस नहीं आ पाती. 14 सितंबर 2015 से पहले तक इनके अस्तित्व पर एक
प्रश्न चिन्ह लगा हुआ था क्योंकि तब तक ये केवल
थ्योरी में ही एक्सिस्ट करते थे और उस समय तक कई लोग ऐसे भी थे जो ये मानते थे की ब्लैक होल जैसी कोई चीज इस ब्रह्माण्ड में exist नहीं करती पर 14
सितंबर 2015 को जब लीगो ने ग्रेविटेशनल वेव को
पहली बार डिटेक्ट किया तो ये साफ हो गया कि ब्लैक होल्स मात्र हमारी कोरी कल्पना नहीं बल्कि एक जीता जागत सच है.
आज हम ये जानते हैं कि ये निश्चित रूप से exist करते हैं पर अभी तक हम पूरी तरह से इन्हें समझ नहीं सके हैं जिसके कारण हम पक्के तौर पर नहीं जानते कि ये ब्रह्माण्ड किस तरह evolve होता है या फिर आगे इसके साथ क्या होगा अगर हमें ये जानना है कि इस ब्रम्हांड के साथ भविष्य में क्या होगा तो हमारे लिए ये समझना भी जरूरी है कि ब्लैक होल कैसे काम करते हैं.
यही कारण है कि विश्व भर के भौतिकी शास्त्री ब्लैक होल को इतनी अहमयत दे रहे हैं. पिछले दो एपिसोड्स में हमने ब्लैक होल और हॉकिंग रेडिएशन के बारे में जाना. आज के इस एपिसोड में हम जानेंगे ब्लैक होल
इंफॉर्मेशन paradox के बारे में. तो चलिए शुरू करते हैं आज के एपिसोड.
हम साल 1974 से पहले तक ब्लैक होल्स हमारे लिए paradoxical नहीं थे क्योंकि हम इनके बारे में केवल ये जानते थे कि ये स्पेस में ऐसे प्लेस होते हैं जहां ग्रैविटी का प्रभाव इतना ज्यादा होता कि खुद लाइट भी वहां से वापस होकर नहीं आ पाती. यानि कि एक बार अगर कोई ऑब्जेक्ट ब्लैक होल के इवेंट होराइजन को पार कर जाए तो उसका वापस लौटना इम्पॉसिबल हो जाता है. यानि की ये इवेंट होराइजन एक क्लोज्ड सर्फेस होता है जिसमें सब कुछ हमेशा के लिए ट्रैप हो जाता है जो ब्लैक होल से कभी वापस नहीं आ पाता.
पर उनका अस्तित्व कभी पूरी तरह से खत्म नहीं होता. मतलब कि अगर हमें किताब को एक ब्लैक होल में फेंक दे तो वो हमेशा के लिए उसमें चला जाएगा. यानी कि इसमें मौजूद इन्फर्मेशन हमेशा के लिए हमसे ओझल हो जाएगी. पर वो फिर भी रहेगा ब्लैक होल में ही. पर साल 1974 में स्टीफन हॉकिंस ने पूरी दुनिया को दिखाया कि ब्लैक होल का भी अपना टेम्प्रेचर होता है जो उनके मांस से inversely proportional होता है. यानि की एक ब्लैक होल का मांस अगर ज्यादा है तो उसका टेम्प्रेचर कम होगा और अगर ब्लैक होल का मांस
कम है तो उसका टेम्प्रेचर ज्यादा होगा.
इस टेम्प्रेचर की वजह से वो हमेशा रेडिएशन emit करते रहते हैं जिसे हॉकिंग्स रेडिएशन का नाम दिया गया है. इस हाकिंग रेडिएशन को emit करते रहने के कारण ऐसे ब्लैक होल्स जिनके पास निगलने के लिए कुछ नहीं होता. धीरे धीरे अपना मास खोते जाते हैं और एक समय ऐसा आता है जब उनका अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो जाता है. इसे ब्लैक होल evaporation भी कहते हैं. अगर आप जानना चाहते हैं कि हॉकिंस रेडिएशन क्यों और कैसे काम करता है तो हमारा पिछला article जरूर पढ़े क्योंकि हमने उसमें डीटेल में इसे समझाया है.
खैर चलिए अब आगे बढ़ते हैं. यानि की जिस तरह पानी भाप बनकर पूरी तरह उड़ जाता है उसी तरह लगातार हॉकिंग रेडिएशन emit करने की वजह से ब्लैक होल भी पूरी तरह खत्म हो जाता है. बचता है तो केवल हॉकिंग रेडिएशन. कहने का मतलब ये है कि ब्लैक होल के
खत्म हो जाने के बाद हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं होती कि ये ब्लैक होल किन ऑब्जेक्ट्स बना था और इसने कैसे कैसे ऑब्जेक्ट्स को निकाला था. यानि कि इनफॉर्मेशन पूरी तरह लॉस्ट हो जाती है. ये थ्योरी
थ्योरेटिकल और मैथमेटिकल से बिल्कुल सही थी पर इसने एक paradox को जन्म दिया जिसे आज हम ब्लैक
होल इन्फर्मेशन paradox के नाम से जानते हैं.
आईए जानते हैं कि ये paradox हैं क्या| लॉ ऑफ नेचर को अभी तक हम जितना समझ पाए हैं उसके अनुसार दो ऐसे प्रिंसिपल्स हैं जो इस ब्रम्हांड में हर
जगह लागू होते हैं. इनमें पहला है
quantum determinism जो कहता है given a present wave function its future changes are uniquely determied by the evolution operator और दूसरा reversility जो कहता है the evoution operator has an inverse, meaning that the past wave functions are similary unique अगर आसान भाषा में इनका मतलब समझाऊं तो ये कहते हैं कि हर यूनीक इनीशियल स्टेट हमेशा एक यूनीक एंड स्टेट के साथ खत्म होता है. ऐसा कभी नहीं हो
सकता कि दो अलग अलग इनीशियल स्टेट के एक ही
फाइनल स्टेट हों. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि
हम किसी प्रोसेस के फाइनल स्टेट को देखकर उसका
इनीशियल स्टेट आसानी से बता सकते हैं और किसी
दूसरे प्रोसेस के इनीशियल स्टेट को देखकर ये बता सकते हैं कि इसके साथ फ्यूचर में क्या होगा.
यानि की इसका सीधा सा मतलब है कि इंफॉर्मेशन कभी भी खत्म नहीं होती. ये हमेशा ही सुरक्षित रहती हैं. अगर आप अभी भी इसे नहीं समझ पाए हैं तो चलिए इसे एक साधारण उदाहरण से समझते हैं.
मान लो आपके पास एक किताब है. जाहिर सी बात है कि जब तक ये सही सलामत है आप देख पा रहे हैं कि इसके पेजेस भी हैं और इसमें काफी कुछ लिखा हुआ भी है. यानी की आपके पास इन्फर्मेशन है. पर क्या होगा जब आप इसे जला देते हैं. जलने के बाद आपके पास बचता है मात्र उसका ऐश यानी की राख. अब आपमें से कुछ
लोग ये कहेंगे कि यहां तो इन्फर्मेशन खत्म हो गई क्योंकि अब न तो हमारे पास इसके पेजेस बचे हैं और न ही वो जो उन पेजेस में लिखा हुआ था.
फिर तो यहां nature के law को फॉलो नहीं किया जा रहा है. अगर आप भी
ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं. जैसा कि मैंने पहले ही बताया इन्फर्मेशन कभी भी खत्म नहीं हो सकती.
अगर इस उदाहरण की बात करें तो किताब के जलने के बाद हमारे पास बचती है ऐश यानी की राख. जैसा कि
मैंने पहले ही बताया हर यूनीक इनीशियल स्टेट का
हमेशा एक यूनीक फाइनल स्टेट होता है और हर
यूनीक
फाइनल स्टेट का एक यूनीक इनीशियल स्टेट ही होता है. इस कारण हम किसी प्रोसेस के बारे में ये बता सकते हैं कि इसके साथ पास्ट में क्या हुआ था या फिर फ्यूचर में इसके साथ क्या होगा
इस उदाहरण में theoretically अगर हम बचे हुए राख और स्मोक को बिल्कुल सही ऑर्डर में असेंबल करें तो वो किताब हमें वापस मिल जाएगी. आम तौर पर ऐसा होता नहीं है पर theoretically ये पॉसिबल है. यानि की किताब के जलने के बाद भी उसकी इनफॉर्मेशन खत्म नहीं हुई. अगर आप अभी भी इस कॉन्सेप्ट को नहीं समझ पाए हैं तो चलिए एक और साधारण उदाहरण लेते हैं. हम जानते हैं कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को सही क्रम में मिलाने पर हमें मिलता है पानी तो हम ये आसानी से कह सकते हैं कि पानी तब बना होगा जब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में आपस मिले होंगे यहां पानी फाइनल स्टेट है.
जिसे देख कर हम इसका इनीशियल सेट आसानी से बता रहे हैं. यानि की इन्फॉर्मेशन हमेशा ही सुरक्षित रहती है तो अब तक हमने क्या जानें. हमने जाना कि इन्फॉर्मेशन हमेशा ही सेफ रहती है जो हमारे यूनिवर्स को
deterministic बनाता है यानि की किसी एक्सपेरिमेंट के फाइनल स्टेट को देखकर हम उसके इनीशियल स्टेट के बारे में बता सकते हैं और इनीशियल स्टेट को देखकर फाइनल स्टेट के बारे में. पर अगर किसी प्रोसेस के फाइनल स्टेज को देखकर हम उसके इनीशियल स्टेट के बारे में बिल्कुल भी ना बता पाएं तो वहां paradox
उत्पन्न होगा क्योंकि ये लॉ ऑफ नेचर को तोड़ता है .
ब्लैक होल्स के साथ बिल्कुल ऐसा ही होता है. हॉकिंग रेडिएशन छोड़ते रहने की वजह से ब्लैक होल्स अपना mass लगातार खोते रहते हैं और एक समय ऐसा आता है जब वो पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं. जब वो खत्म होते हैं तो वहां हॉकिंग रेडिएशन के अला वा कुछ नहीं बचता और हॉकिंग रेडिएशन में कोई इनफॉर्मेशन नहीं होती. यानि की ब्लैक होल के खत्म होने के बाद ये कोई नहीं बता सकता कि ब्लैक होल किस चीज से बना था या फिर उसने कैसे कैसे खगोलीय पिंडों को अपने अंदर निगल
लिया था
इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि यह इन्फॉर्मेशन
लॉस्ट हो गई जो कि लॉ ऑफ नेचर को वायलेट करता है
इसीलिए यह एक paradox है और इसे ब्लैक होल इंफॉर्मेशन पैराडाइस कहते हैं. चलिए इसे थोड़े और अच्छे तरीके से समझते हैं. फिजिक्स कम्यूनिटी में ब्लैक होल्स को लेकर हमेशा एक अहम सवाल रहा है और वो ये है कि do black holes have hair or not?.
आप सोच रहे होंगे कि अब इसका मतलब क्या है.
आइए इसे समझते हैं. जिस भी बड़े ऑब्जेक्ट के बारे में अब तक आप जानते हैं वो काफी कॉम्प्लेक्स होते हैं.
उदाहरण के लिए अगर ग्रहों की बात करें तो कोई भी दो ग्रह कुछ हद तक एक जैसी तो जरूर हो सकते हैं पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता कि दोनों एक दूसरे के बिल्कुल कार्बन कॉपी हों. ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें कई सारे प्रॉपर्टीज होते हैं जो उन्हें एक दूसरे से अलग बनाते हैं. दो ग्रहों के एक दूसरे का कार्बन कॉपी होने के लिए
उनके अंदर हर पॉइंट पर सेम कंपोजिशन और डेंसिटी होनी चाहिए. कहने का मतलब ये है कि इस ब्रम्हांड में मौजूद हर ऑब्जेक्ट किसी न किसी प्रॉपर्टी के आधार
पर एक दूसरे से किसी न किसी वे में अलग जरूर है जो प्रॉपर्टीज इन्हें एक दूसरे से अलग बनाते हैं
उन्हें हेयर कहा गया है. पर अगर ब्लैक होल की बात करें तो इनमें केवल तीन प्रॉपर्टीज ही होते हैं. मांस इलेक्ट्रिक चार्ज और स्पिन. इसका मतलब ये हुआ कि दो अलग अलग ब्लैक होल्स में अगर ये तीनों चीजें सेम हुई तो theoretically वो दोनों बिल्कुल एक दूसरे की कार्बन कॉपी कहलाएंगे. यानि की ऐसा कोई तरीका नहीं बचता जिससे कि ऐसे केसेज में हम दो ब्लैक होल्स को uniquelly पहचान पाएं. इसलिए कई फिजिसिस्ट हमेशा से ये कहते हैं कि ब्लैक होल्स have no hair खैर चलिए अब आगे बढ़ते हैं और वापस लौटते हैं ब्लैक होल इंफॉर्मेशन paradox में.
हम जानते हैं कि ब्लैक होल्स जिन ऑब्जेक्ट्स को अपने अंदर निगल लेते हैं उनमें तारे ग्रह उपग्रह डस्ट लाइट इत्यादि सब होते हैं. अगर इन सबमें मौजूद इंफॉर्मेशन की बात करें तो वो होंगे mass,साइज, शेप, colour, टेक्सचर, डेंसिटी ,स्पिन, कंपोजिशन, प्रेशर, इलेक्ट्रिक
चार्ज, वेवलेंथ, इत्यादि. हम अगर ब्लैक होल में मौजूद इन्फर्मेशन की बात करें तो उनमें हमें केवल mass,
इलेक्ट्रिक चार्ज और स्पिन ही मिलता है. यानि की जब ब्लैक होल उन पिंडों को अपने अंदर निगलता है तो बाकी के काफी सारे इन्फॉर्मेशन lost हो जाते हैं और हॉकिंग रेडिएशन छोड़ते रहने के कारण जब ये पूरी तरह से
खत्म हो जाते हैं तो बची हुई ये इन्फर्मेशन भी पूरी तरह खत्म हो जाते हैं.
यानि कि इनके खत्म होने के बाद हम ये नहीं बता सकते कि उस ब्लैक होल का निर्माण कैसे हुआ और उसने कैसे कैसे ऑब्जेक्ट्स को अपने अंदर निगला था. मतलब कि इनके फाइनल स्टेट को देखकर हम इनके इनीशियल स्टेट के बारे में नहीं बता सकते जो कि लॉ ऑफ नेचर को तोड़ता है. इसके कारण इसे हम ब्लैक होल इंफॉर्मेशन पैराडाइस कहते हैं. जब स्टीफन हॉकिंस ने अपनी हॉकिंस रेडिएशन वाली थ्योरी इस दुनिया को दी है तब से ही ये paradox फिजिसिस्ट के लिए एक बड़ी बहस का
मुद्दा बना हुआ है. यूं तो इस paradox के कई सॉल्यूशन हैं जो अलग अलग फिजिसिस्ट ने दिए हैं पर हर सॉल्यूशन के साथ कोई न कोई बड़ी समस्या जरूर है जिसके कारण ये paradoxअभी तक सॉल्व नहीं किया जा सका है.
अगर आप चाहें तो इन सॉल्यूशंस को भी हमें एक article में discuss कर सकते हैं. अगर आप चाहते हैं कि इन सॉल्यूशंस के ऊपर भी मैं एक article बनाए तो कमेंट के जरिए मुझे जरूर बताएं.
चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि आखिर क्या कारण की फिजिसिस्ट इस paradox का सॉल्यूशन ढूंढने में लगे हुए हैं. दरअसल law of nautre को जितना हमने अभी तक समझा है उससे
हमें यही पता चला है कि किसी यूनीक स्टेट के आधार पर हम उसके past और future के बारे में काफी
हद तक बता सकते हैं. पर ब्लैक होल हमारे लिए एक
पहेली बनी हुई है क्योंकि इसके एंड स्टेट के आधार पर हम इसके इनीशियल स्टेट के बारे में नहीं बता सकते.
उसी तरह ब्लैक होल के singularity के केस में न तो हमारी जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी काम करती है और न ही क्वांटम थ्योरी मतलब की.
जब तक हम इसको पूरी तरह से समझ नहीं लेते हम इस ब्रम्हांड के व्यवहार को नहीं समझ सकते और जब तक हम इस ब्रम्हांड के व्यवहार को एक्युरेसी के साथ नहीं समझ लेते हम ये नहीं बता पाएंगे कि ये ब्रम्हांड
पहले कैसा था और भविष्य में इसके साथ क्या होगा.
अभी तक जो भी हमने इस ब्रम्हांड के भूत और भविष्य के बारे में पढ़ा या सुना है वो मात्र थ्योरी है.
पर अगर हम ब्लैक होल को पूरी तरह समझने में कामयाब हो जाते हैं तो हम सब कुछ acuretly भविष्यवाणी कर पाएंगे. ब्लैक होल हमें हमेशा यह
अहसास दिलाते हैं कि जितना भी अभी तक हमने जाना है वो काफी नहीं है यानि कि काफी कुछ ऐसा अभी भी बचा हुआ है इसके बारे में हम बिल्कुल नहीं जानते और जब हम उन सभी चीजों के बारे में जान जाएंगे तो ये
दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी
आज के लिए इतना ही धन्यवाद दोस्तों
मिलते हैं अगले article में|
ब्लैक होल हमारे पूरे ब्रह्माण्ड में सबसे रहस्यमय
वस्तुओं में से एक है. स्पेस में ये ऐसे प्लेसेस होते हैं
जहां ग्रेविटी का प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि हमारे करंट फिजिकल थ्योरी वहां ब्रेक कर जाते हैं. यहां तक कि खुद लाइट भी इनसे होकर वापस नहीं आ पाती. 14 सितंबर 2015 से पहले तक इनके अस्तित्व पर एक
प्रश्न चिन्ह लगा हुआ था क्योंकि तब तक ये केवल
थ्योरी में ही एक्सिस्ट करते थे और उस समय तक कई लोग ऐसे भी थे जो ये मानते थे की ब्लैक होल जैसी कोई चीज इस ब्रह्माण्ड में exist नहीं करती पर 14
सितंबर 2015 को जब लीगो ने ग्रेविटेशनल वेव को
पहली बार डिटेक्ट किया तो ये साफ हो गया कि ब्लैक होल्स मात्र हमारी कोरी कल्पना नहीं बल्कि एक जीता जागत सच है.
आज हम ये जानते हैं कि ये निश्चित रूप से exist करते हैं पर अभी तक हम पूरी तरह से इन्हें समझ नहीं सके हैं जिसके कारण हम पक्के तौर पर नहीं जानते कि ये ब्रह्माण्ड किस तरह evolve होता है या फिर आगे इसके साथ क्या होगा अगर हमें ये जानना है कि इस ब्रम्हांड के साथ भविष्य में क्या होगा तो हमारे लिए ये समझना भी जरूरी है कि ब्लैक होल कैसे काम करते हैं.
यही कारण है कि विश्व भर के भौतिकी शास्त्री ब्लैक होल को इतनी अहमयत दे रहे हैं. पिछले दो एपिसोड्स में हमने ब्लैक होल और हॉकिंग रेडिएशन के बारे में जाना. आज के इस एपिसोड में हम जानेंगे ब्लैक होल
इंफॉर्मेशन paradox के बारे में. तो चलिए शुरू करते हैं आज के एपिसोड.
हम साल 1974 से पहले तक ब्लैक होल्स हमारे लिए paradoxical नहीं थे क्योंकि हम इनके बारे में केवल ये जानते थे कि ये स्पेस में ऐसे प्लेस होते हैं जहां ग्रैविटी का प्रभाव इतना ज्यादा होता कि खुद लाइट भी वहां से वापस होकर नहीं आ पाती. यानि कि एक बार अगर कोई ऑब्जेक्ट ब्लैक होल के इवेंट होराइजन को पार कर जाए तो उसका वापस लौटना इम्पॉसिबल हो जाता है. यानि की ये इवेंट होराइजन एक क्लोज्ड सर्फेस होता है जिसमें सब कुछ हमेशा के लिए ट्रैप हो जाता है जो ब्लैक होल से कभी वापस नहीं आ पाता.
पर उनका अस्तित्व कभी पूरी तरह से खत्म नहीं होता. मतलब कि अगर हमें किताब को एक ब्लैक होल में फेंक दे तो वो हमेशा के लिए उसमें चला जाएगा. यानी कि इसमें मौजूद इन्फर्मेशन हमेशा के लिए हमसे ओझल हो जाएगी. पर वो फिर भी रहेगा ब्लैक होल में ही. पर साल 1974 में स्टीफन हॉकिंस ने पूरी दुनिया को दिखाया कि ब्लैक होल का भी अपना टेम्प्रेचर होता है जो उनके मांस से inversely proportional होता है. यानि की एक ब्लैक होल का मांस अगर ज्यादा है तो उसका टेम्प्रेचर कम होगा और अगर ब्लैक होल का मांस
कम है तो उसका टेम्प्रेचर ज्यादा होगा.
इस टेम्प्रेचर की वजह से वो हमेशा रेडिएशन emit करते रहते हैं जिसे हॉकिंग्स रेडिएशन का नाम दिया गया है. इस हाकिंग रेडिएशन को emit करते रहने के कारण ऐसे ब्लैक होल्स जिनके पास निगलने के लिए कुछ नहीं होता. धीरे धीरे अपना मास खोते जाते हैं और एक समय ऐसा आता है जब उनका अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो जाता है. इसे ब्लैक होल evaporation भी कहते हैं. अगर आप जानना चाहते हैं कि हॉकिंस रेडिएशन क्यों और कैसे काम करता है तो हमारा पिछला article जरूर पढ़े क्योंकि हमने उसमें डीटेल में इसे समझाया है.
खैर चलिए अब आगे बढ़ते हैं. यानि की जिस तरह पानी भाप बनकर पूरी तरह उड़ जाता है उसी तरह लगातार हॉकिंग रेडिएशन emit करने की वजह से ब्लैक होल भी पूरी तरह खत्म हो जाता है. बचता है तो केवल हॉकिंग रेडिएशन. कहने का मतलब ये है कि ब्लैक होल के
खत्म हो जाने के बाद हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं होती कि ये ब्लैक होल किन ऑब्जेक्ट्स बना था और इसने कैसे कैसे ऑब्जेक्ट्स को निकाला था. यानि कि इनफॉर्मेशन पूरी तरह लॉस्ट हो जाती है. ये थ्योरी
थ्योरेटिकल और मैथमेटिकल से बिल्कुल सही थी पर इसने एक paradox को जन्म दिया जिसे आज हम ब्लैक
होल इन्फर्मेशन paradox के नाम से जानते हैं.
आईए जानते हैं कि ये paradox हैं क्या| लॉ ऑफ नेचर को अभी तक हम जितना समझ पाए हैं उसके अनुसार दो ऐसे प्रिंसिपल्स हैं जो इस ब्रम्हांड में हर
जगह लागू होते हैं. इनमें पहला है
quantum determinism जो कहता है given a present wave function its future changes are uniquely determied by the evolution operator और दूसरा reversility जो कहता है the evoution operator has an inverse, meaning that the past wave functions are similary unique अगर आसान भाषा में इनका मतलब समझाऊं तो ये कहते हैं कि हर यूनीक इनीशियल स्टेट हमेशा एक यूनीक एंड स्टेट के साथ खत्म होता है. ऐसा कभी नहीं हो
सकता कि दो अलग अलग इनीशियल स्टेट के एक ही
फाइनल स्टेट हों. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि
हम किसी प्रोसेस के फाइनल स्टेट को देखकर उसका
इनीशियल स्टेट आसानी से बता सकते हैं और किसी
दूसरे प्रोसेस के इनीशियल स्टेट को देखकर ये बता सकते हैं कि इसके साथ फ्यूचर में क्या होगा.
यानि की इसका सीधा सा मतलब है कि इंफॉर्मेशन कभी भी खत्म नहीं होती. ये हमेशा ही सुरक्षित रहती हैं. अगर आप अभी भी इसे नहीं समझ पाए हैं तो चलिए इसे एक साधारण उदाहरण से समझते हैं.
मान लो आपके पास एक किताब है. जाहिर सी बात है कि जब तक ये सही सलामत है आप देख पा रहे हैं कि इसके पेजेस भी हैं और इसमें काफी कुछ लिखा हुआ भी है. यानी की आपके पास इन्फर्मेशन है. पर क्या होगा जब आप इसे जला देते हैं. जलने के बाद आपके पास बचता है मात्र उसका ऐश यानी की राख. अब आपमें से कुछ
लोग ये कहेंगे कि यहां तो इन्फर्मेशन खत्म हो गई क्योंकि अब न तो हमारे पास इसके पेजेस बचे हैं और न ही वो जो उन पेजेस में लिखा हुआ था.
फिर तो यहां nature के law को फॉलो नहीं किया जा रहा है. अगर आप भी
ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं. जैसा कि मैंने पहले ही बताया इन्फर्मेशन कभी भी खत्म नहीं हो सकती.
अगर इस उदाहरण की बात करें तो किताब के जलने के बाद हमारे पास बचती है ऐश यानी की राख. जैसा कि
मैंने पहले ही बताया हर यूनीक इनीशियल स्टेट का
हमेशा एक यूनीक फाइनल स्टेट होता है और हर
यूनीक
फाइनल स्टेट का एक यूनीक इनीशियल स्टेट ही होता है. इस कारण हम किसी प्रोसेस के बारे में ये बता सकते हैं कि इसके साथ पास्ट में क्या हुआ था या फिर फ्यूचर में इसके साथ क्या होगा
इस उदाहरण में theoretically अगर हम बचे हुए राख और स्मोक को बिल्कुल सही ऑर्डर में असेंबल करें तो वो किताब हमें वापस मिल जाएगी. आम तौर पर ऐसा होता नहीं है पर theoretically ये पॉसिबल है. यानि की किताब के जलने के बाद भी उसकी इनफॉर्मेशन खत्म नहीं हुई. अगर आप अभी भी इस कॉन्सेप्ट को नहीं समझ पाए हैं तो चलिए एक और साधारण उदाहरण लेते हैं. हम जानते हैं कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को सही क्रम में मिलाने पर हमें मिलता है पानी तो हम ये आसानी से कह सकते हैं कि पानी तब बना होगा जब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में आपस मिले होंगे यहां पानी फाइनल स्टेट है.
जिसे देख कर हम इसका इनीशियल सेट आसानी से बता रहे हैं. यानि की इन्फॉर्मेशन हमेशा ही सुरक्षित रहती है तो अब तक हमने क्या जानें. हमने जाना कि इन्फॉर्मेशन हमेशा ही सेफ रहती है जो हमारे यूनिवर्स को
deterministic बनाता है यानि की किसी एक्सपेरिमेंट के फाइनल स्टेट को देखकर हम उसके इनीशियल स्टेट के बारे में बता सकते हैं और इनीशियल स्टेट को देखकर फाइनल स्टेट के बारे में. पर अगर किसी प्रोसेस के फाइनल स्टेज को देखकर हम उसके इनीशियल स्टेट के बारे में बिल्कुल भी ना बता पाएं तो वहां paradox
उत्पन्न होगा क्योंकि ये लॉ ऑफ नेचर को तोड़ता है .
ब्लैक होल्स के साथ बिल्कुल ऐसा ही होता है. हॉकिंग रेडिएशन छोड़ते रहने की वजह से ब्लैक होल्स अपना mass लगातार खोते रहते हैं और एक समय ऐसा आता है जब वो पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं. जब वो खत्म होते हैं तो वहां हॉकिंग रेडिएशन के अला वा कुछ नहीं बचता और हॉकिंग रेडिएशन में कोई इनफॉर्मेशन नहीं होती. यानि की ब्लैक होल के खत्म होने के बाद ये कोई नहीं बता सकता कि ब्लैक होल किस चीज से बना था या फिर उसने कैसे कैसे खगोलीय पिंडों को अपने अंदर निगल
लिया था
इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि यह इन्फॉर्मेशन
लॉस्ट हो गई जो कि लॉ ऑफ नेचर को वायलेट करता है
इसीलिए यह एक paradox है और इसे ब्लैक होल इंफॉर्मेशन पैराडाइस कहते हैं. चलिए इसे थोड़े और अच्छे तरीके से समझते हैं. फिजिक्स कम्यूनिटी में ब्लैक होल्स को लेकर हमेशा एक अहम सवाल रहा है और वो ये है कि do black holes have hair or not?.
आप सोच रहे होंगे कि अब इसका मतलब क्या है.
आइए इसे समझते हैं. जिस भी बड़े ऑब्जेक्ट के बारे में अब तक आप जानते हैं वो काफी कॉम्प्लेक्स होते हैं.
उदाहरण के लिए अगर ग्रहों की बात करें तो कोई भी दो ग्रह कुछ हद तक एक जैसी तो जरूर हो सकते हैं पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता कि दोनों एक दूसरे के बिल्कुल कार्बन कॉपी हों. ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें कई सारे प्रॉपर्टीज होते हैं जो उन्हें एक दूसरे से अलग बनाते हैं. दो ग्रहों के एक दूसरे का कार्बन कॉपी होने के लिए
उनके अंदर हर पॉइंट पर सेम कंपोजिशन और डेंसिटी होनी चाहिए. कहने का मतलब ये है कि इस ब्रम्हांड में मौजूद हर ऑब्जेक्ट किसी न किसी प्रॉपर्टी के आधार
पर एक दूसरे से किसी न किसी वे में अलग जरूर है जो प्रॉपर्टीज इन्हें एक दूसरे से अलग बनाते हैं
उन्हें हेयर कहा गया है. पर अगर ब्लैक होल की बात करें तो इनमें केवल तीन प्रॉपर्टीज ही होते हैं. मांस इलेक्ट्रिक चार्ज और स्पिन. इसका मतलब ये हुआ कि दो अलग अलग ब्लैक होल्स में अगर ये तीनों चीजें सेम हुई तो theoretically वो दोनों बिल्कुल एक दूसरे की कार्बन कॉपी कहलाएंगे. यानि की ऐसा कोई तरीका नहीं बचता जिससे कि ऐसे केसेज में हम दो ब्लैक होल्स को uniquelly पहचान पाएं. इसलिए कई फिजिसिस्ट हमेशा से ये कहते हैं कि ब्लैक होल्स have no hair खैर चलिए अब आगे बढ़ते हैं और वापस लौटते हैं ब्लैक होल इंफॉर्मेशन paradox में.
हम जानते हैं कि ब्लैक होल्स जिन ऑब्जेक्ट्स को अपने अंदर निगल लेते हैं उनमें तारे ग्रह उपग्रह डस्ट लाइट इत्यादि सब होते हैं. अगर इन सबमें मौजूद इंफॉर्मेशन की बात करें तो वो होंगे mass,साइज, शेप, colour, टेक्सचर, डेंसिटी ,स्पिन, कंपोजिशन, प्रेशर, इलेक्ट्रिक
चार्ज, वेवलेंथ, इत्यादि. हम अगर ब्लैक होल में मौजूद इन्फर्मेशन की बात करें तो उनमें हमें केवल mass,
इलेक्ट्रिक चार्ज और स्पिन ही मिलता है. यानि की जब ब्लैक होल उन पिंडों को अपने अंदर निगलता है तो बाकी के काफी सारे इन्फॉर्मेशन lost हो जाते हैं और हॉकिंग रेडिएशन छोड़ते रहने के कारण जब ये पूरी तरह से
खत्म हो जाते हैं तो बची हुई ये इन्फर्मेशन भी पूरी तरह खत्म हो जाते हैं.
यानि कि इनके खत्म होने के बाद हम ये नहीं बता सकते कि उस ब्लैक होल का निर्माण कैसे हुआ और उसने कैसे कैसे ऑब्जेक्ट्स को अपने अंदर निगला था. मतलब कि इनके फाइनल स्टेट को देखकर हम इनके इनीशियल स्टेट के बारे में नहीं बता सकते जो कि लॉ ऑफ नेचर को तोड़ता है. इसके कारण इसे हम ब्लैक होल इंफॉर्मेशन पैराडाइस कहते हैं. जब स्टीफन हॉकिंस ने अपनी हॉकिंस रेडिएशन वाली थ्योरी इस दुनिया को दी है तब से ही ये paradox फिजिसिस्ट के लिए एक बड़ी बहस का
मुद्दा बना हुआ है. यूं तो इस paradox के कई सॉल्यूशन हैं जो अलग अलग फिजिसिस्ट ने दिए हैं पर हर सॉल्यूशन के साथ कोई न कोई बड़ी समस्या जरूर है जिसके कारण ये paradoxअभी तक सॉल्व नहीं किया जा सका है.
अगर आप चाहें तो इन सॉल्यूशंस को भी हमें एक article में discuss कर सकते हैं. अगर आप चाहते हैं कि इन सॉल्यूशंस के ऊपर भी मैं एक article बनाए तो कमेंट के जरिए मुझे जरूर बताएं.
चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि आखिर क्या कारण की फिजिसिस्ट इस paradox का सॉल्यूशन ढूंढने में लगे हुए हैं. दरअसल law of nautre को जितना हमने अभी तक समझा है उससे
हमें यही पता चला है कि किसी यूनीक स्टेट के आधार पर हम उसके past और future के बारे में काफी
हद तक बता सकते हैं. पर ब्लैक होल हमारे लिए एक
पहेली बनी हुई है क्योंकि इसके एंड स्टेट के आधार पर हम इसके इनीशियल स्टेट के बारे में नहीं बता सकते.
उसी तरह ब्लैक होल के singularity के केस में न तो हमारी जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी काम करती है और न ही क्वांटम थ्योरी मतलब की.
जब तक हम इसको पूरी तरह से समझ नहीं लेते हम इस ब्रम्हांड के व्यवहार को नहीं समझ सकते और जब तक हम इस ब्रम्हांड के व्यवहार को एक्युरेसी के साथ नहीं समझ लेते हम ये नहीं बता पाएंगे कि ये ब्रम्हांड
पहले कैसा था और भविष्य में इसके साथ क्या होगा.
अभी तक जो भी हमने इस ब्रम्हांड के भूत और भविष्य के बारे में पढ़ा या सुना है वो मात्र थ्योरी है.
पर अगर हम ब्लैक होल को पूरी तरह समझने में कामयाब हो जाते हैं तो हम सब कुछ acuretly भविष्यवाणी कर पाएंगे. ब्लैक होल हमें हमेशा यह
अहसास दिलाते हैं कि जितना भी अभी तक हमने जाना है वो काफी नहीं है यानि कि काफी कुछ ऐसा अभी भी बचा हुआ है इसके बारे में हम बिल्कुल नहीं जानते और जब हम उन सभी चीजों के बारे में जान जाएंगे तो ये
दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी
आज के लिए इतना ही धन्यवाद दोस्तों
मिलते हैं अगले article में|
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